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FILM

25/11/2025

Authur by R

“क्या यमराज सत्य हैं?”

प्रारंभ, अधर्म का बीज

मुरादाबाद के निकट एक छोटे से कस्बे राजपुर में रहता था राकेश, एक लालची व्यापारी, वह दिन-रात धन कमाने के चक्कर में झूठ, चोरी और दूसरों का शोषण करता, गरीब किसानों से उगाही करता, पड़ोसियों को ठगता और मंदिर के दान को हजम कर जाता एक रात, वह अपने मित्रों संग शराब पीते हुए हंसता, ये दुनिया कमजोरों के लिए है मजबूत ही राज करते हैं भगवान तो बस कहानियां हैं उसी रात उसे सीने में तेज दर्द हुआ डॉक्टरों ने कहा, हार्ट अटैक, लेकिन राकेश की आत्मा यमदूतों के साथ यमलोक की ओर प्रस्थान कर चुकी थी। यमलोक पहुंचते ही चित्रगुप्त ने अपनी पंजी खोली कर्मों का हिसाब,राकेश, तेरे पापों का बोझ असह्य है,

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यमलोक का दरबार, चित्रगुप्त का फैसला

यमराज सिंहासन पर विराजमान थे, भैंसे पर सवार, दंडधारी, चित्रगुप्त ने पुस्तक पढ़ी, इसने 500 किसानों को बर्बाद किया 100 विधवाओं को भटकाया, स्वर्ग असंभव, नर्क ही योग्य” राकेश चीखा, मैं निर्दोष हूं ये सब झूठे इल्जाम हैं क्या यमराज सत्य हैं या ये सब धोखा? यमराज मुस्कुराए सत्य तो तेरा कर्म है जो तूने छिपा, चित्रगुप्त, इसे नरक के 21 द्वार दिखाओ चित्रगुप्त ने जादुई पंजी से दर्पण प्रकट किया राकेश ने देखा उबलते तेल के कुंड, सांपों की भयंकर घाटियां, जहां पापी चीख रहे थे एक द्वार पर लोहे की सलाखें गर्म हो रही थीं, जहां ठगों को चुभोया जाता। राकेश कांप उठा, लेकिन यमराज बोले, ये अभी शुरुआत है अधर्मी के लिए यम सत्य ही तो अंतिम न्याय है,

ब्रह्मा का आह्वान, सृष्टि का संदेश

राकेश रोया, “हे यमराज, मुझे दूसरा मौका दो” यमराज ने चित्रगुप्त से कहा, ब्रह्मा जी को बुलाओ अचानक कमल पर विराजमान ब्रह्मा प्रकट हुए, चार मुखों से ज्ञान बरसाते राकेश, मैंने सृष्टि रची सत्य, धर्म, कर्म पर आधारित तूने मेरी रचना का अपमान क्या सृष्टि का नियम है जैसा बोओगे, वैसा काटोगे तेरे पाप सृष्टि के विरुद्ध हैं ब्रह्मा ने एक दृष्टांत दिखाया एक बगीचा जहां अच्छे बीज फलते, बुरे सड़ते “देख, अधर्मी का भाग्य नर्क ही है लेकिन यदि तू पश्चात्ताप करे, तो विष्णु जी से प्रार्थना कर राकेश घुटनों पर गिरा, “मैं बदल जाऊंगा” ब्रह्मा ने आशीर्वाद दिया, लेकिन चेतावनी दी कर्म बिना परिवर्तन व्यर्थ,

विष्णु का अवतार, पालन का पाठ

चित्रगुप्त ने पुकारा, “विष्णु भगवान” शंख, चक्र, गदा, पद्म धारण विष्णु गरुड़ पर आ पहुंचे यम भाई, इसकी याचना सुनो विष्णु ने कहा, “मैं पालनकर्ता हूं धर्म की रक्षा करता हूं राकेश, तेरे कर्मों ने असंख्य जीवों को पीड़ा दी। अधर्म करने वाले मेरी कृपा खो देते” विष्णु ने एक दर्शन दिखाया धरती पर राकेश के शिकार परिवार भूखे मरते “देख, तेरा अधर्म ने कितनों का पालन छीन लिया यम सत्य हैं, क्योंकि वे धर्म के रक्षक हैं। यदि तू धरती लौटे, तो अच्छे कर्म कर” राकेश विलाप करने लगा,मैं चोरी छोड़ दूंगा, दान दूंगा विष्णु मुस्कुराए, यमराज, इसे एक दिन का समय दो पश्चात्ताप सिद्ध करे,

पृथ्वी पर वापसी, अधर्म का अंत

यमराज सहमत हुए चित्रगुप्त ने राकेश को पृथ्वी पर भेजा, लेकिन अदृश्य। राकेश अपने घर पहुंचा, देखा, उसकी पत्नी रो रही, बच्चे भूखे पड़ोसी कह रहे, ये अधर्मी गया अब न्याय मिलेगा राकेश ने अदृश्य होकर अपने बहीखाते जले डाले, किसानों को पत्र लिखे माफ करो, धन लौटा रहा एक गरीब को दान दिया रात को वापस यमलोक, चित्रगुप्त ने पुंजी अपडेट की, पश्चात्ताप सच्चा ब्रह्मा बोले, सृष्टि में सुधार विष्णु बोले, “धर्म पालन” यमराज अंतिम फैसला सुनाया राकेश, तू नर्क से मुक्त लेकिन सावधान अधर्म दोबारा किया, तो यम सत्य सिद्ध करेंगे जन्म-मृत्यु चक्र में अच्छे कर्म ही मुक्ति,

चरम, दिव्य संदेश

फिल्म का अंतिम दृश्य राकेश धरती पर जागा, सुधरा इंसान कस्बे वालों को इकट्ठा कर बोला, यमराज सत्य हैं अधर्म मत करो चित्रगुप्त सब लिखते हैं ब्रह्मा सृष्टि रचते, विष्णु पालते कर्म ही धर्म कैमरा ऊपर जाता, स्वर्गलोक दिखता चारों देवता मुस्कुराते टाइटल- “क्या यमराज सत्य हैं? हां, अधर्म के लिए सदा” संगीत बजता, “कर्म करो, पाप ना करो, यम का फंदा ना पड़े जोर से”
यह कहानी एस लायनराजा फिल्म स्टूडियो की है, जो अधर्मियों को जगाने वाली,

यमलोक में दूसरी सुनवाई

राकेश के लौट आने के बाद यमलोक में फिर से सभा लगती है​ चित्रगुप्त अपनी विशाल किताब खोलकर कहते हैं, “प्रभु, इसके नए कर्म भी दर्ज हो चुके हैं दान माफी और किसानों को उनका हक़ लौटाना,​यमराज गम्भीर स्वर में पूछते हैं, राकेश, यह तूने डर के कारण किया या सच में बदल गया है ​राकेश विनम्र होकर जवाब देता है, पहले मैं समझता था कि धन ही सब कुछ है, आज समझा कि असली डर यमलोक का नहीं, अपने कर्मों का है यमराज अपने दंड से जमीन पर एक रेखा खींचते हैं

एक ओर नरक की ज्वाला, दूसरी ओर एक उजला मार्ग, वे कहते हैं, मनुष्य को हमेशा यह चुनाव करना होता है अधर्म की आग या धर्म की रोशनी तूने देर से सही, पर दूसरी तरफ कदम बढ़ाया है,​

ब्रह्मा की परिषद, क़िस्मत और कर्म

अब ब्रह्मा जी पूरा दार्शनिक पक्ष समझाते हैं​ वे कहते हैं, राकेश, लोग अक्सर पूछते हैं क्या हमारी किस्मत पहले से लिखी है या हम खुद बनाते हैं सत्य यह है कि पिछला कर्म बीज है और वर्तमान कर्म पानी है जो पानी जैसा डालोगे, वही पेड़ मजबूत या कमजोर होगा,

ब्रह्मा जी एक दृश्य दिखाते हैं जिसमें दो बच्चे हैं एक गरीब, एक अमीर,गरीब बच्चा भी मेहनत, ईमानदारी और दया से आगे बढ़कर कई लोगों का सहारा बनता है, जबकि अमीर बच्चा घमंड, नशे और अधर्म से सब कुछ खो देता है,​

ब्रह्मा जी कहते हैं “धन, जन्म, रूप ये सब प्रारब्ध हो सकते हैं पर धर्म निभाना या अधर्म करना, ये हमेशा तेरे हाथ में है तूने पहले अवसर गंवाए, लेकिन अब तुझे समझ आया है, इसलिए यमराज तुझे पूरी तरह नष्ट नहीं कर रहे, बल्कि सबक दे रहे हैं,​

विष्णु की परीक्षा, सच्चे बदलाव की कसौटी

विष्णु भगवान प्रस्ताव रखते हैं, प्रभु, मनुष्य को अगर सुधारना है तो उसे सिर्फ़ सज़ा दिखाना नहीं रास्ता भी दिखाना ज़रूरी है​ वे सुझाव देते हैं कि राकेश को एक “जीवित प्रमाण” बनाकर वापस भेजा जाए, ताकि जो लोग अभी धरती पर अधर्म कर रहे हैं, वे उसकी कहानी सुनकर डरें और सुधरें​,

विष्णु जी एक शर्त रखते हैं राकेशअगर तू फिर लोभ में आ गया, तो इस बार न समय मिलेगा, न दया सीधे कठोर नरकराकेश हाथ जोड़कर कहता है, मेरे जीवन को चेतावनी बना दो प्रभु, ताकि दूसरों के पाप कम हो सकें,यमराज और चित्रगुप्त सहमत हो जाते हैं कि राकेश को धर्म-दूत की तरह भेजा जाएगा एक ऐसे इंसान के रूप में जो अपनी गलती स्वीकार कर खुलेआम लोगों को यमलोक का सच बताए,​

धरती पर परिवर्तन, कस्बे का जागरण

अब फिल्म में टाइम,जंप दिखाया जा सकता है कुछ महीने बाद का राजपुर पहले जो राकेश चमकदार गाड़ी, महंगे कपड़े, गुंडों की भीड़ के साथ घूमता था अब वही साधारण सफेद कुर्ता पायजामा में, हाथ में छोटी सी डायरी लिए गली,गली घूमता है

वह जिन किसानों से वसूली करता था अब उनके घर जाकर माफी मांगता है कर्ज माफ करता है और कहता है मेरी वजह से तुम्हारी आंखों में जो आँसू आए, वही आँसू मेरे नर्क का रास्ता बन गए थे कस्बे के मंदिर में, जहां वह दान चोरी करता था अब हर महीने चुपचाप भोजन का भंडारा करवाता है पर अपने नाम का बोर्ड नहीं लगने देता,

धीरे-धीरे लोग हैरान होते हैं “ये वही राकेश है?”
कुछ लोग कहते हैं शायद कोई चाल है लेकिन उसकी स्थिरता देखकर लोगों का नज़रिया बदलने लगता है​,

सार्वजनिक स्वीकारोक्ति, यमराज सत्य हैं

एक दिन कस्बे के स्कूल में “नैतिकता दिवस” पर राकेश को बुलाया जाता है प्रिंसिपल कहते हैं, तुम्हारी ज़िंदगी एक बड़ा सबक है बच्चों को सच बताओ, स्टेज पर राकेश माइक्रोफोन लेकर बोलता है

मैं पहले सोचता था कि यमराज बस कहानी का नाम है मैं हंसता था उन लोगों पर जो कर्मों का हिसाब, चित्रगुप्त का नाम लेते थे पर मैं सच में यमलोक जाकर लौटा हूं वहां हर एक कर्म का हिसाब है किसी गरीब के साथ किया अन्याय, किसी बूढ़े की बद्दुआ, किसी अनाथ का छिना हुआ हक़ सब लिखा है तुम सोचते हो कौन देख रहा है पर ऊपर एक-एक पल दर्ज हो रहा है,​ बच्चों की आंखें फैल जाती हैं, बड़े-बुज़ुर्ग सन्न हो जाते हैं राकेश कहता है, अगर तुम सोचते हो कि गलत काम करके, कागज़, कानून या पुलिस से बच जाओगे, याद रखना यमलोक से कोई नहीं बचता, यमराज सत्य हैं, क्योंकि वे सिर्फ़ मौत नहीं, न्याय का दूसरा नाम हैं​,

अधर्मी लोगों के लिए खास मैसेज

तुम्हारे कहने के हिसाब से, यह फिल्म खासकर उन लोगों के लिए है जो आज भी अधर्म, धोखा, फ्रॉड, शोषण और ग़लत काम कर रहे हैं कहानी में कई छोटे-छोटे सब-ट्रैक दिखाए जा सकते हैं,

एक छोटा दुकानदार जो वजन में कम देता है राकेश की बात सुनकर तराजू ठीक कर देता हैएक दलाल जो गरीबों की ज़मीन हड़प रहा था डर कर उन्हें उनके कागज़ वापस कर देता है एक शराबी बाप जो घर पर हिंसा करता था राकेश की सभा सुनकर शराब छोड़ने की क़सम खा लेता है,

हर सब-ट्रैक के अंत में राकेश कह सकता है, मैं नरक देखकर आया हूं, तुम मत जाना अभी समय है माफी मांग लो, नुकसान पूरा कर दो और अपनी किताब कर्म साफ़ कर लो, वरना चित्रगुप्त मिटाएंगे नहीं, सीधे पढ़ेंगे​,

यमलोक का अंतिम दृश्य, देवताओं की संतुष्टि

फिल्म के एंड के करीब वापस कट होता है यमलोक में,चित्रगुप्त नए अपडेटेड रजिस्टर दिखाते हैं राजपुर में कई लोगों ने अपने बुरे काम छोड़ दिए, गरीबों की मदद शुरू हुई, दान बढ़ा, झूठ और धोखा कम हुआ,​

ब्रह्मा जी कहते हैं देखो, एक सुधरा हुआ पापी सैकड़ों के लिए चेतावनी बन सकता है यही सृष्टि का संतुलन है​ विष्णु जी मुस्कुराकर कहते हैं जब मनुष्य डर के साथ-साथ प्रेम से धर्म अपनाता है तभी असली परिवर्तन आता है​ यमराज घोषणा करते हैं मेरे नाम से लोग डरें नहीं, अपने पापों से डरें। मैं सिर्फ़ न्याय का दूत हूं। अधर्मी के लिए मैं सत्य हूं और धर्मी के लिए मार्ग का अंत​,चित्रगुप्त अपनी कलम उठाकर कहते हैं, “आज की तारीख में दर्ज कर रहा हूं, राजपुर कस्बे का अधर्म प्रतिशत कम हुआ” यह एक प्रतीकात्मक, हल्का-सा हास्य वाला लेकिन गहरा सीन हो सकता है​

एस लायनराजा फिल्म स्टूडियो का मैसेज

आखिरी सीन में फिर से धरती बारिश हो रही है, राकेश मंदिर की सीढ़ियों पर खड़ा आसमान की ओर देख रहा है
वॉइसओवर

  • “कहानी राकेश की है, पर सबक हमारा है”
  • “अगर आज तुम किसी का हक़ मार रहे हो, किसी को रुला रहे हो, किसी का भरोसा तोड़ रहे हो जान लो, यमराज सत्य हैं, चित्रगुप्त सब लिख रहे हैं”
  • “अभी सांस चल रही है, मतलब अभी मौका है अपनी किस्मत की अगली लाइन अच्छे कर्म से खुद लिख लो”

स्क्रीन पर फिल्म का टाइटल उभरता है:
“क्या यमराज सत्य हैं?”
नीचे – एक चेतावनी, एक जागृति – S LIONRAJA FILM STUDIO
और क्रेडिट में साफ़ “Written for S LIONRAJA – Directed by Raja Kumar Prajapati.

S LIONRAJA


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